09 नवंबर, 2009
शिमला।
देश की सीमाएं असुरक्षित है। हमें चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश से खतरा है।
देश की कमजोर विदेश नीति के चलते हमने नेपाल को खो दिया है है। यदि समय
रहते नही संभले तो श्रीलंका, वर्मा भी हमारे हाथ से निकल जाएंगे। इसलिए
हमें कारगर दूरवर्ती नीति बनानी होगी। उक्त बाते राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ
के सरसंघचालक डा. मोहनराव भागवत ने रविवार को शिमला में पथ संचलन व
सरसंघचालक प्रणाम के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कही। उन्होंने चिंता
जताते हुए कहा कि देश आतंरिक और ब्राrय आतंकवाद से ग्रसित है।
स्वतंत्रता के 60 साल के बाद भी पाकिस्तान व कश्मीर में अपने सैनिक ठिकाने
बनाना चाहता है। इसलिए वह भारत व पाकिस्तान को ल़डाए रखना चाहता है। उधर,
चीन के इरदे भी सही नही है। वह कभी अरूणाचल पर दावा करता है तो कभी तिब्बत
पर। उसकी मिसाइलों की जद में पूरा देश है। ब्रह्यपुत्र नदी पर चीन ने बांध
बनाया है। इसके अलावा उसने भारत के चारों ओर सैनिक अड्डे बनाए है। इसके
अलावा बांग्लादेश में उग्रवादियों के अड्डे है जो भारत के खिलाफ सक्रिय है।
उन्होंने कहा कि यह पडोसी देश अपनी सुविधा के अनुसार भारत पर आक्रमण कर
सकते हैं। इसलिए हमें भी इसका जवाब देने के लिए अभी से तैयारी करनी होगी।
उन्होंने कहा कि आधुनिकीकरण के नाम पर विकसित देश अन्य देशों को अपने अधीन
करना चाहते है। इसके अलावा पाश्चात्य संस्कृति विश्व समुदाय को गर्त में
धकेल रही है।
विज्ञान की प्रगति से सुविधांए तो मिली लेकिन सुख व शांति नहीं। इन सभी
समस्याओं का एक मात्र समाधान हिंदुत्व सभी वर्गो, विचारों, भाषाओं,
संस्कृति आदि को एक सूत्र में जो़डता है। यह सब को एक साथ लाने का संदेश
देता है इसलिए हिंदुत्व की चेतना जगाकर हम विश्व समुदाय को एक बना सकते
है। यही कार्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कर रहा है और ऎसा ही संदेश महात्मा
गांधी, अम्बेडकर आदि महान पुरूषों ने दिया है।
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