09 नवंबर, 2009
मुंबई।
महाराष्ट्र विधानसभा में सत्र के पहले दिन शपथ ग्रहण समारोह के दौरान
समाजवादी पार्टी (सपा) विधायक अबु आजमी के हिंदी में शपथ लेने पर
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के विधायकों ने उनका माइक छीन लिया और
हाथपाई की। विवाद तब शुरू हुआ जब अबु आजमी ने विधानसभा में हिंदी
में शपथ लेना शुरू किया। पहले अबु आजमी को रोकने के लिए मनसे विधायकों ने
जमकर नारेबाजी की। आजमी के शपथ लेने से नहीं रूकने पर मनसे विधायकों ने
उनसे धक्का-मुक्की शुरू कर दी। उन्हें चप्पलें दिखाई गईं और मनसे विधायक
राम कदम ने उन्हें थप्प़ड मार दिया।
बाद में उनका माइक छीन लिया। मनसे विधायक इतने पर ही नहीं रूके। उन्होंने
फिर से अबु आजमी को बुरी तरह से घेर लिया। इस पर स्पीकर ने मार्शल बुला
लिए। इस बीच अन्य विधायक भी आजमी के बचाव में उनके पास पहुंच गए। अबु आजमी
ने मनसे विधायकों के भारी हंगामे के बीच हिंदी में ही शपथग्रहण पूर्ण की।
भारी हंगामे के चलते स्पीकर को सदन की कार्रवाई आधे घंटे के लिए स्थगित
करनी प़डी। इस घटना की निंदा करते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक
चव्हाण ने इसे अशोभनी करार दिया है। उन्होंने दोषी विधायकों के खिलाफ
कार्रवाई की मांग की है।
उधर, समाजवादी पार्टी के महासचिव अमर सिंह ने इस घटना की घोर निदंा करते
हुए कहा कि कैसे किसी हिंदी भाषी को उसकी भाषा में शपथ लेने से रोका जा
सकता है। सपा सुप्रीमो मुलायमसिंह ने कहा कि हम इसकी घोर निंदा करते हैं।
अबु आजमी ने हिंदी में शपथ लेकर राष्ट्रभाषा का सम्मान किया है। उन्होंने
कहा, सिद्धांतों की ल़डाई में ऎसी मुश्किलें आती ही हैं। ज्ञात रहे, मराठी
मानुष के अपने एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने नए
विधानसभा के सभी विधायकों को सिर्फ मराठी में शपथ नहीं लेने पर आगाह करते
कहा था कि ऎसा नहीं करने वालों के खिलाफ उनके विधायक किसी भी स्तर तक जा
सकते हैं।
उन्होंने धमकी दी थी कि अगर कोई अन्य भाषा में शपथ लेता है, तो सदन देखेगा
कि उनके विधायक क्या करते हैं। उधर, अबु आजमी ने राज की धमकी को दरकिनार
कर सदन का एजेंडा हिंदी में चलाने की मांग करते हुए शपथ हिंदी में ही लेने
की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि मैं मराठी के खिलाफ नहीं हूं। मैं इस
भाषा का सम्मान करता हूं और उसे समझता हूं, लेकिन बोल नहीं सकता, क्योंकि
मेरी मातृभाषा हिंदी है। मनसे प्रमुख के तेवरों से यह पहले से ही साफ लग
रहा था कि शपथग्रहण समारोह के दौरान उनके विधायक किसी भी शर्मनाक घटना को
अंजाम दे सकते हैं। यहां सबसे ब़डा प्रश्न यह उठता है कि ऎसी धमकियों के
चलते विधायकों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाए गएक्
राष्ट्रभाषा के विरोध में यह काला अध्याय क्यों अंकित होने दिया गया
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